महाराष्ट्र में गुड़ी पड़व तो कर्नाटक में मनाया जा रहा है आज उगादी

 पूरे भारत में आज हिंदू नववर्ष की धूम 

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है, यह बसंत की आगमन का भी सूचक होता है।  मान्यता है कि इसी तिथि पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। विक्रम संवत की शुरुआत सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। इस साल 9 अप्रैल 2022 को हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरुआत हो रही है। इस दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़व, दक्षिण भारत में उगादी, उत्तर भारत में चैत्र नवरात्रि, कश्मीर में नवरेह , मणिपुर में साजिबु चेरोहा का त्योहार मनाया जाता है। 

मराठा और कोंकण क्षेत्र में नए साल को गुड़ी पड़व कहा जाता है। गुडी यानी झंडा होता है और पड़व संस्कृत शब्द प्रतिपदा से लिया गया है जिसका मतलब पहला दिन होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की स्थापना की थी, इसलिए आज के दिन को नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण समेत 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे और इस दिन उनका राज्याभिषेक किया गया था, इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। 

गुड़ी पड़व वाले दिन लोग सुबह जल्दी उठकर, नहा कर, नए कपड़े पहन कर, पूजा पाठ करते हैं। घरों को सजाते हैं, घर में रंगोली बनाते हैं, गेंदे की फुल आम के पत्ते से घर के बाहर तोरण लगते हैं, घर के द्वार पर गुडी यानी की ध्वजा लगाई जाती है यह बांस की होती है, जिस पर रेशमी कपड़ा लपेट जाता है और उसे पर फूल पत्तों की माला पहनाई जाती है, बांस के ऊपर कलश को उल्टा रखा जाता है यह विजय और समृद्धि का प्रतीक होता है गुड़ी पड़वा के दिन पूरन पोली विशेष तौर पर बनाई जाती है यह गुड चना दाल और गेहूं की रोटी होती है। नए साल की नई शुरूआत मीठे से करने के लिए श्रीखंड बनाया जाता है यह दही, शक्कर, केसर और इलायची से बनाई गई मिठाई होती है।

दक्षिण भारत में चैत्र नव वर्ष को उगादि कहा जाता है। उगादि शब्द युग और आदि ( नया ) से मिलकर बना है, इसका अर्थ होता है नए युग की शुरुआत , यह बसंत की शुरुआत भी होती है। यह तेलंगाना, आंद्रप्रदेश,कर्नाटक में मनाया जाता है। उगादी पर, लोग तेल से स्नान करते हैं और नीम की पत्तियों का सेवन करते हैं, जो शरीर और आत्मा की सफाई का प्रतीक है। वे अपने घरों के बाहर रंगीन झंडे भी फहराते हैं लोग जल्दी उठकर तेल मालिश करके नहाते हैं घर को सजाते हैं रंगोली बनाते हैं तोरण लगते हैं पूजा पाठ करते हैं दान पुण्य करते हैं लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं फिर साथ में मिलकर पछाड़ी कहते हैं पचड़ी एक विशेष प्रकार का भोजन होता है जो खट्टा, तीखा, मीठा, नमकीन होता है, इसमें सभी स्वाद होते हैं यह इस बात का प्रतीक होता है कि आने वाले नए साल में आपके जीवन की सभी तरह के अनुभव होंगे और आपको सब तरह के अनुभव से सीखना चाहिए उनका आनंद लेना चाहिए। उसी प्रकार इससे यह याद दिलाया जाता है कि कोई भी घटना या प्रकरण पूरी तरह से अच्छा या बुरा नहीं होता है। कड़वे अनुभवों के बीच भी, कुछ मीठे पल भी होते हैं। 

उगादी चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित है, जो चंद्रमा और सूर्य की स्थिति को जोड़ता है । वैदिक ज्योतिष के अनुसार, उगादि साढ़े तीन मुहूर्त के अंतर्गत आता है, ऐसा माना जाता है कि यह अवधि सभी प्रयासों के लिए शुभ परिणाम लाती है। इस दिन लोग पंचांग श्रवणम में संलग्न होते हैं, जहां चंद्रमा के संकेतों के आधार पर आने वाले वर्ष के लिए पूर्वानुमान सुनाया जाता है।

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