शिक्षित युवा, अशिक्षित युवाओं के मुकाबले अधिक बेरोजगार : भारत रोजगार रिपोर्ट 2024

 भारत रोजगार रिपोर्ट 2024: युवा शिक्षा, रोजगार और कौशल 

"भारत रोजगार रिपोर्ट 2024: युवा शिक्षा, रोजगार और कौशल" मानव विकास संस्थान (IHD) और अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा तैयार की गई है। यह भारत रोजगार रिपोर्ट का तीसरा संस्करण है। भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 भारत में उभरते आर्थिक, श्रम बाजार, शैक्षिक और कौशल परिदृश्यों और पिछले दो दशकों में हुए बदलावो के संदर्भ में युवा रोजगार की चुनौती की जांच करती है। यह मुख्य रूप से राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षणों के आंकड़ों, आवधिक श्रम बल के विश्लेषण पर आधारित है। इस रिपोर्ट में भारत में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति के बारे में बात की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2000 से 2019 तक युवा रोजगार और अल्प रोजगार में वृद्धि हुई है पर देश में शिक्षित युवाओ में, अशिक्षित युवाओं के मुकाबले अधिक बेरोजगारी हैं। भारत में कुल बेरोजगार लोगों में से 83% युवा है। माध्यमिक उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवा 2000 में 35.2% थे जो 2022 में 65.7% हो गए हैं अतः भारत में शिक्षित बेरोजगारो की संख्या बड़ी है। 

रिपोर्ट के अनुसार 2018 से पहले विभिन्न अवधियों में गैर-कृषि रोजगार कृषि रोजगार की तुलना में अधिक दर से बढ़ा। श्रमिकों ने कृषि क्षेत्र से गैर कृषि क्षेत्र की तरफ पलायन किया है,  कृषि क्षेत्र के श्रमिक निर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में गए हैं। 90% श्रमिक अनौपचारिक कार्यों में लगे हुए हैं। व्यापक तौर पर आजीविका असुरक्षित है। एक छोटा प्रतिशत सामाजिक सुरक्षा के दायरे में है।  इससे भी बुरी बात यह है कि ठेकेदारी प्रथा में वृद्धि हुई है, केवल कुछ प्रतिशत नियमित कर्मचारी ही दीर्घकालिक अनुबंधों के दायरे में आते हैं।

 रिपोर्ट में कहा गया है भारत के युवाओं में कौशल की कमी है, उच्च शिक्षित महिलाओं के बीच भी बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है।

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है और कम से कम एक दशक तक अपने जनसांख्यिकीय लाभांश से लाभ उठाने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि सालाना 7-8 मिलियन युवा श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। पिछले दो दशकों में, युवाओं ने भी अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त की है। फिर भी युवाओं को बेहतर गुणवत्ता वाली औपचारिक नौकरियों तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आपूर्ति-मांग अंतराल और कौशल बेमेल को भरने के प्रोत्साहन के साथ, भारत में कौशल परिदृश्य में भी बदलाव आया है।

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