विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024

 विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 



विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 में भारत को 146 देशों में से 126 वां स्थान प्राप्त हुआ है। हर साल विश्व प्रसन्नता दिवस 20 मार्च को यह रिपोर्ट जारी की जाती है। इस साल भी 20 मार्च 2024 को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क द्वारा विश्व खुशहाली रिपोर्ट जारी की गई है। जो खुशी के आधार पर देशों की रैंकिंग करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का सबसे खुशहाल देश फिनलैंड है और दुनिया का सबसे दुखी देश अफगानिस्तान है। सभी देशों का मिलाकर औसत निकाला जाए तो दुनिया मैं लोग पहले के मुकाबले ज्यादा दुखी हो गए है।

पहली बार, रिपोर्ट आयु समूह के आधार पर अलग-अलग रैंकिंग देती है। 30 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और युवाओं की सूची में लिथुआनिया शीर्ष पर है, जबकि 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए डेनमार्क दुनिया का सबसे खुशहाल देश है।

दुनिया के शीर्ष 10 खुशहाल देश

पिछले 7 सालों से फिनलैंड दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में शीर्ष पर है। फिनलैंड के बाद डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, इज़राइल, नीदरलैंड, नॉर्वे, लक्ज़मबर्ग, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया सबसे खुशहाल देश है।


एशिया के शीर्ष 10 खुशहाल देश

इस रिपोर्ट के अनुसार एशिया का सबसे खुशहाल देश सिंगापुर है। एशिया के शीर्ष खुशहाल देशों में दूसरा नंबर ताइवान और तीसरा नंबर जापान का आता है। इसके बाद दक्षिण कोरिया, फिलिपींस, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, चीन और मंगोलिया एशिया के खुशहाल देश है।


विश्व खुशहाली रिपोर्ट में भारत का स्थान

भारत विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 में 143 देशों में से 126वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के वृद्ध लोग तुलनात्मक रूप से जीवन से अधिक संतुष्ट है और भारत के वृद्ध पुरुष भारत की वृद्ध महिलाओं के मुकाबले अपने जीवन से अधिक संतुष्ट हैं। 2023 की रिपोर्ट में भारत का स्थान 125वा था। इस साल भारत की रैंकिंग एक स्थान और गिर  गई है। भारत के पड़ोसी देशों में चीन 60वें, नेपाल 93वें,पाकिस्तान 108वें, म्यांमार 118वें,‌ श्रीलंका 128वें ओर बांग्लादेश 129वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार भारत खुशहाली के मामले में अपने सारे पड़ोसी देशों से पीछे हैं। इस रिपोर्ट में भारत को पाकिस्तान, लीबिया, इराक, फिलिस्तीन और नाइजर से भी पीछे रखा गया है। इसका मतलब भारत के लोग पाकिस्तान, लीबिया और इराक के लोगों के मुकाबले जीवन से कम संतुष्ट है। 

भारत सरकार द्वारा इस रिपोर्ट को नकार दिया गया है। भारत सरकार द्वारा कहा गया है की खुशी एक बहुआयामी अवधारणा है, सभी के लिए खुशी का मतलब अलग-अलग होता है। खुशी को अंको में नापा नहीं जा सकता है। साथ ही भारत की रैंकिंग भी इसमें सही नहीं की गई है, इसलिए भारत सरकार इस रिपोर्ट को नकारती है।


विश्व खुशहाली सूचकांक  के आधार

प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, स्वच्छ जीवन प्रत्याशा, अन्य व्यक्ति पर विश्वास करना, जीवन के स्वतंत्र निर्णय लेना, अन्य लोगों के प्रति उदारता, भ्रष्टाचार से मुक्ति आदि कारको के आधार पर विश्व खुशहाली सूचकांक तैयार किया जाता है। गैलप वर्ल्ड पोल प्रश्नावली अपने मूल प्रश्नों में 14 क्षेत्रों को मापती है: (1) व्यापार और आर्थिक, (2) नागरिक जुड़ाव, (3) संचार और प्रौद्योगिकी, (4) विविधता (सामाजिक मुद्दे), (5) शिक्षा और परिवार, (6) भावनाएँ (कल्याण), (7) पर्यावरण और ऊर्जा, (8) भोजन और आश्रय, (9) सरकार और राजनीति, (10) कानून और व्यवस्था (सुरक्षा), (11) स्वास्थ्य, (12) ) धर्म और नैतिकता, (13) परिवहन, और (14) काम।

विश्व खुशहाली रिपोर्ट का इतिहास

सबसे पहले विश्व खुशहाली रिपोर्ट 1 अप्रैल 2012 को जारी की गई थी। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक के लिए एक मूलभूत पाठ के रूप में जारी की गई थी। जो एक नए आर्थिक प्रतिमान कल्याण और खुशी:  को परिभाषित करती थी। पहली रिपोर्ट में विश्व की खुशहाली की स्थिति, खुशी और दुख के कारणों को केस स्टडीज द्वारा उजागर किया। 2013 में दूसरी विश्व खुशहाली रिपोर्ट जारी की गई और 2015 में तीसरी। 2016 से, इसे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस के अवसर पर 20 मार्च को वार्षिक आधार पर जारी किया जाता है।

विश्व खुशहाली रिपोर्ट का प्रकाशन

विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर का प्रकाशन है। इससे पहले यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की एक वैश्विक पहल, सतत विकास समाधान नेटवर्क का प्रकाशन थी । रिपोर्ट मुख्य रूप से गैलप वर्ल्ड पोल के डेटा का उपयोग करती है । प्रत्येक वार्षिक रिपोर्ट जनता के लिए वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट वेबसाइट पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है।



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